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84-अनोखी परीक्षा

"बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द है अपने बेटे को समझाने के लिये। "देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वेकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा खंड से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खडी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।" एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद्द और माता की लाचारी आमने सामने टकरा रही थी। "बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट .. मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला "मैं कुछ नहीं जानता .. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये ..!!" ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी की मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया। 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत 'सर एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे। हालांकि भागवत सर का विषय गणित ...

83-दो टट्टू

        व्यापारी के पास दो टट्टू थे| वह उन पर सामान लादकर पहाड़ों पर बसे गाँवों में ले जाकर बेचा करता था| एक बार उनमें से एक टट्टू कुछ बीमार हो गया| व्यापारी को पता नहीं था कि उसका एक टट्टू बीमार है|       उसे गाँव में बेचने के लिए नमक, गुड़, दाल, चावल आदि ले जाना था| उसने दोनों टट्टुओं पर बराबर-बराबर सामान लाद किया और चल पड़ा|       ऊँचें-नीचे पहाड़ी रास्ते पर चलने में बीमार टट्टू को बहुत कष्ट होने लगा| उसने दूसरे से कहा-‘आज ,मेरी तबियत ठीक नहीं हैं| ,मैं अपनी पीठ पर रखा एक बोरा गिरा देता हूँ, तुम यहीं खड़े रहो| हमारा स्वामी वह बोरा तुम्हारे ऊपर रख देगा| मेरा भार कुछ कम हो जायगा तो मैं तुम्हारे साथ चला चलूँगा| तुम आगे चले जाओगे तो गिरा बोरा फिर मेरी पीठ रख जायगा|’        दूसरा टट्टू बोला-‘मैं तुम्हारा भार ढोने के लिये क्यों खड़ा रहूँ? मेरी पीठ पर क्या कम भार लदा है? मै अपने हिस्से का ही भार ढोऊंगा|’        बीमार टट्टू चुप हो गया| लेकिन उसकी तबियत अधिक खराब हो रही थी| च...

82-आत्म बोध

"बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द है अपने बेटे को समझाने के लिये। "देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वेकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा खंड से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खडी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।" एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद्द और माता की लाचारी आमने सामने टकरा रही थी। "बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट .. मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला "मैं कुछ नहीं जानता .. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये ..!!" ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी की मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया। 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत 'सर एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे। हालांकि भागवत सर का विषय गणित ...

81-भगवान की लाठी

        एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। एक जगह देखा कि दरिया की सतह से एक कछुआ निकला और पानी के किनारे पर आ गया। उसी किनारे से एक बड़े ही जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई और कछुए की पीठ पर सवार हो गया। कछुए ने तैरना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग बड़े हैरान हुए।उन्होंने उस कछुए का पीछा करने की ठान ली। इसलिए दरिया में तैर कर उस कछुए का पीछा किया।          वह कछुआ दरिया के दूसरे किनारे पर जाकर रूक गया। और बिच्छू उसकी पीठ से छलांग लगाकर दूसरे किनारे पर चढ़ गया और आगे चलना शुरू कर दिया।          वह बुजुर्ग भी उसके पीछे चलते रहे। आगे जाकर देखा कि जिस तरफ बिच्छू जा रहा था उसके रास्ते में एक भगवान् का भक्त ध्यान साधना में आँखे बन्द कर भगवान् की भक्ति कर रहा था।         उस बुजुर्ग ने सोचा कि अगर यह बिच्छू उस भक्त को काटना चाहेगा तो मैं करीब पहुँचने से पहले ही उसे अपनी लाठी से मार डालूँगा।        लेकिन वह कुछ कदम आगे बढे ही थे कि उन्होंने दे...

80-कबीर की पगडी

          एक प्रसिद्ध किवंदती हैं। एक बार संत कबीर ने बड़ी कुशलता से पगड़ी बनाई। झीना- झीना कपडा बुना और उसे गोलाई में लपेटा। हो गई पगड़ी तैयार। वह पगड़ी जिसे हर कोई बड़ी शान से अपने सिर सजाता हैं। यह नई नवेली पगड़ी लेकर संत कबीर दुनिया की हाट में जा बैठे। ऊँची- ऊँची पुकार उठाई- 'शानदार पगड़ी! जानदार पगड़ी! दो टके की भाई! दो टके की भाई!'       एक खरीददार निकट आया। उसने घुमा- घुमाकर पगड़ी का निरीक्षण किया। फिर कबीर जी से प्रश्न किया- 'क्यों महाशय एक टके में दोगे क्या?' कबीर जी ने अस्वीकार कर दिया- 'न भाई! दो टके की है। दो टके में ही सौदा होना चाहिए।' खरीददार भी नट गया। पगड़ी छोड़कर आगे बढ़ गया। यही प्रतिक्रिया हर खरीददार की रही।        सुबह से शाम हो गई। कबीर जी अपनी पगड़ी बगल में दबाकर खाली जेब वापिस लौट आए। थके- माँदे कदमों से घर- आँगन में प्रवेश करने ही वाले थे कि तभी... एक पड़ोसी से भेंट हो गई। उसकी दृष्टि पगड़ी पर पड गई। 'क्या हुआ संत जी, इसकी बिक्री नहीं हुई?'- पड़ोसी ने जिज्ञासा की। कबीर जी ने दिन भर का...

79-बन्धन

         एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन टूटे’। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, ‘यूं मत कहो रे पंडित झूठे’। पंडित को क्रोध आता कि ये सब क्या सोचेंगे, रानी क्या सोचेगी। पंडित अपने गुरु के पास गया, गुरु को सब हाल बताया। गुरु तोते के पास गया और पूछा तुम ऐसा क्यों कहते हो?          तोते ने कहा- ‘मैं पहले खुले आकाश में उड़ता था। एक बार मैं एक आश्रम में जहां सब साधू-संत राम-राम-राम बोल रहे थे, वहां बैठा तो मैंने भी राम-राम बोलना शुरू कर दिया। एक दिन मैं उसी आश्रम में राम-राम बोल रहा था, तभी एक संत ने मुझे पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लिया, फिर मुझे एक-दो श्लोक सिखाये। आश्रम में एक सेठ ने मुझे संत को कुछ पैसे देकर खरीद लिया। अब सेठ ने मुझे चांदी के पिंजरे में रखा, मेरा बंधन बढ़ता गया। निकलने की कोई संभावना न रही। एक दिन उस सेठ ने राजा से अपना काम निकलवाने के लिए मुझे राजा को गिफ्ट कर दिया, राजा ने खुशी-खुशी मुझे ले लिया, क्योंकि मैं राम-राम बोलता था। रानी धार्मिक प्रवृत्ति की थी तो राजा ने ...

78-पराया हक

         दूसरों का हक हमारे पास न आये-इस विषय में मनुष्य को खूब सावधान रहना है| अपनी खरी कमाई का अन्न खाओगे तो अन्तःकरण निर्मल होगा और अगर चोरी का ठगी-धोखेबाजी का, अन्याय का अन्न खाओगे तो अन्तःकरण महान अशुद्ध हो जायगा|         आज कल टैक्स बहुत बढ़ जाने से लोग व्यापार आदि में चोरी-छिपाव करते हैं| जैसे-जैसे वकील सिखाता है, वैसा-वैसा करके वे धन बचाने की चेष्टा करते हैं|वे विचार ही नहीं करते कि इस प्रकार धन बचाने से अन्तःकरण कितना मैला हो जायगा!          एक संत कहा करते थे कि शुद्ध कमाई के धन से बहुत पवित्रता आती है| उनके पास एक राजा आया करते थे| एक बार राजा ने उनसे पूछा कि ‘महाराज, आपके यहाँ बहुत-से लोग आया करते हैं और आप भी कई लोगों के घरों में भिक्षा के लिये जाया करते हैं| ऐसा कोई घर आपकी दृष्टि में है, जिसका अन्न शुद्ध कमाई का हो?’ अगर ऐसा घर आपको दीखता है तो बतायें|’ संत ने कहा कि ‘अमुक स्थान पर एक बूढ़ी माई रहती है, उसके घर का अन्न शुद्ध है| वह ऊन को कातकर उससे अपनी जीविका चलाती है| उसके पास धन नही ह...