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Showing posts from July, 2020

125-कहानियां छोटी पर सच्ची

6 छोटी-छोटी  कहानियाँ:                           ( 1 )   एक बार गाँव वालों ने यह निर्णय लिया कि बारिश के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे, प्रार्थना के दिन सभी गाँव वाले एक जगह एकत्रित हुए  परन्तु एक बालक अपने साथ छाता भी लेकर आया. इसे कहते हैं आस्था.                 ( 2 ) जब आप एक बच्चे को हवा में उछालते हैं तो वह हँसता है  क्यों कि वह जानता है कि आप उसे पकड़ लेंगे. इसे कहते हैं विश्वास.                 ( 3 ) प्रत्येक रात्रि को जब हम सोने के लिए जाते हैं तब इस बात की कोई गारण्टी नहीं होती कि सुबह तक हम जीवित रहेंगे भी या नहीं फिर भी हम घड़ी  में अलार्म लगाकर सोते हैं. इसे कहते हैं आशा.                        ( 4 ) हमें भविष्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है फिर भी हम आने वाले कल के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं बनाते हैं. इसे कहते हैं आत्मविश्वास.       ...

124-विश्वास

विश्वास          एक बार दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लम्बा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था, उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे। सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगा उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली।         भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी । लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे और वो कलाकार माइक पर आया। भीड़ को बोला :-        "क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ।" भीड़ चिल्लाई हाँ! हाँ!!, तुम कर सकते हो। उसने पूछा :- क्या आपको विश्वास है। भीड़ पुनः चिल्लाई हाँ.! पूरा विश्वास है। हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलता पूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।         कलाकार ने पुनः बोला:- पूरा पूरा विश्वास है ना.! भीड़ बोली:- हाँ! हाँ!!* *कलाकार बोला:- तो ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा। फिर क्या सामने...