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122-मालिक का अकेला बेटा. कुत्ताै

          वे लोग पिछले कई दिनों से इस जगह पर खाना बाँट रहे थे।हैरानी की बात ये थी कि एक कुत्ता हर रोज आता था और किसी न किसी के हाथ से खाने का पैकेट छीनकर ले जाता था।आज उन्होने एक आदमी की ड्यूटी भी लगाई थी कि खाने को लेने के चक्कर में कुत्ता किसी आदमी को न काट ले।          लगभग ग्यारह बजे का समय हो चुका था और वे लोग अपना खाना वितरण शुरू कर चुके थे। तभी देखा कि वह कुत्ता तेजी से आया और एक आदमी के हाथ से खाने की थैली झपटकर भाग गया।वह लड़का जिसकी ड्यूटी थी कि कोई जानवर किसी पर हमला न कर दे, वह डंडा लेकर उस कुत्ते का पीछा करते हुए कुत्ते के पीछे भागा।कुत्ता भागता हुआ थोड़ी दूर एक झोंपड़ी में घुस गया।वह आदमी भी उसका पीछा करता हुआ झोंपड़ी तक आ गया।कुत्ता खाने की थैली झोंपड़ी में रख के बाहर आ चुका था।            वह आदमी बहुत हैरान था।वह झोंपड़ी में घुसा तो देखा कि एक आदमी अंदर लेटा हुआ है। चेहरे पर बड़ी सी दाढ़ी है और उसका एक पैर भी नहीं है।गंदे से कपड़े हैं उसके। ओ भैया! ये कुत्ता तुम्हारा है क्या? मेरा कोई कुत्ता नहीं है।क...

121-जमीदार और मजदूर के कर्म का फल

जमींदार और मजदूर के कर्म का फल           एक गांव में जमींदार और उसके एक मजदूर की साथ ही मौत हुई। दोनों यमलोक पहुंचे।          धर्मराज ने जमींदार से कहा: आज से तुम मजदूर की सेवा करोगे। मजदूर से कहा: अब तुम कोई काम नहीं करोगे, आराम से यहां रहोगे।                 जमींदार परेशान हो गया। पृथ्वी पर तो मजदूर जमींदार की सेवा करता था, पर अब उल्टा होने वाला था। जमींदार ने कहा: भगवन, आप ने मुझे यह सजा क्यों दी?             मैं तो भगवान का परम भक्त हूं। प्रतिदिन मंदिर जाता था। देसी घी से भगवान की आरती करता था और बहुमूल्य चीजें दान करता था। धर्म के अन्य आयोजन भी मैं करता ही रहता था। धर्मराज ने मजदूर से पूछा: तुम क्या करते थे पृथ्वी पर?              मजदूर ने कहा: भगवन, मैं गरीब मजदूर था। दिन भर जमींदार के खेत में मेहनत मजदूरी करता था। मजदूरी में उनके यहां से जितना मिलता था, उसी में परिवार के साथ गुजारा करता था। मोह माया से दूर जब समय मिलता था तब भग...

120-मैल और धूल

                                                                               एक सेठ नदी पर आत्महत्या करने जा रहा था। संयोग से एक लंगोटीधारी संत भी वहाँ थे। संत ने उसे रोक कर, कारण पूछा, तो सेठ ने बताया कि उसे व्यापार में बड़ी हानि हो गई है।         संत ने मुस्कुराते हुए कहा- बस इतनी सी बात है? चलो मेरे साथ, मैं अपने तपोबल से लक्ष्मी जी को तुम्हारे सामने बुला दूंगा। फिर उनसे जो चाहे माँग लेना। सेठ उनके साथ चल पड़ा। कुटिया में पहुँच कर, संत ने लक्ष्मी जी को साक्षात प्रकट कर दिया।           वे इतनी सुंदर, इतनी सुंदर थीं कि सेठ अवाक रह गया और धन माँगना भूल गया। देखते देखते सेठ की दृष्टि उनके चरणों पर पड़ी। उनके चरण मैल से सने थे। सेठ ने हैरानी से पूछा- माँ! आपके चरणों में यह मैल कैसी?          माँ- पुत्र! जो लोग भगवान को नह...

119-घमंडी की सिर नीची

           नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं | एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था | उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था | सबसे ऊँचाई पर बैठने का भी उसे बहुत मान था | इस कारण घमंड में चूर नारियल हमेशा ही नदी के पत्थर को तुच्छ पड़ा हुआ कहकर उसका अपमान करता रहता |             एक बार, एक शिल्प कार उस पत्थर को लेकर बैठ गया और उसे तराशने के लिए उस पर तरह – तरह से प्रहार करने लगा | यह देख नारियल को और अधिक आनंद आ गया उसने कहा – ऐ पत्थर ! तेरी भी क्या जिन्दगी हैं पहले उस नदी में पड़ा रहकर इधर- उधर टकराया करता था और बाहर आने पर मनुष्य के पैरों तले रौंदा जाता था और आज तो हद ही हो गई | ये शिल्पी तुझे हर तरफ से चोट मार रहा हैं और तू पड़ा देख रहा हैं | अरे ! अपमान की भी सीमा होती हैं | कैसी तुच्छ जिन्दगी जी रहा हैं | मुझे देख कितने शान से इस ऊँचे वृक्ष पर बैठता हूँ | पत्थर ने उसकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया | नारियल रोज इसी तरह पत्थर को अपमानित करता रहता |     ...

118-अधर्म का दुष्परिणाँम कब

                एक गांव में एक परचून की दुकान करता था, उसके सामने ही एक हलवाई की दुकान भी थी दोनों की दुकान आमने-सामने थी इन दोनों में परचुनी तो ईमानदारी से धर्म पूर्वक सौदा बेचता था और हलवाई दूध में पानी मिलाकर बेईमानी और अधर्म पूर्वक व्यवहार करता था।               थोड़े ही दिनों में हलवाई मालदार हो गया और परचुनी गरीब ही बना रहा, परचुनी इस विषय में पंडितों से प्रश्न किया करता कि धन कैसे होता है, इसका यह उत्तर कि धर्म से ही धन होता है उसके समझ में नहीं आता था क्योंकि उसका पड़ोसी हलवाई तो अधर्म करके ही मालदार हुवा था।              एक दिन एक विरक्त महात्मा आए। उनसे भी परचुनी ने यही प्रश्न किया महात्मा चुप हो गए और वहीं रहने लगे कुछ दिन बाद महात्मा बोले तुम गंगा स्नान को चलो, वहां पहुंचकर महात्मा ने गंगा किनारे एक गड्ढा आदमी की ऊंचाई से गहरा तैयार कराया और परचुनी से उसके भीतर खड़े होने को कहा उसके खड़े हो जाने पर वह दूसरे आदमियों द्वारा उस गड्ढे में जल डलवाने लगे सौ दो सौ घड़ा...

117-अनुभव की कंघी

             रामधन नाम का एक पुराना व्यपारी था जो अपनी व्यापारी समझ के कारण दोनों हाथो से कमा रहा था | उसको कोई भी टक्कर नहीं दे सकता था | वो दूर-दूर से अनाज लाकर उसे शहर में बेचता था उसे बहुत सा लाभ होता था | वो अपनी इस कामयाबी से बहुत खुश था | इसलिये उसने सोचा व्यापार बढ़ाना चाहिये और उसने पड़ौसी राज्य में जाकर व्यापार करने की सोची |               दुसरे राज्य जाने के रास्ते का मानचित्र देखा गया जिसमे साफ-साफ था कि रास्ते में एक बहुत बड़ा मरुस्थल हैं | खबरों के अनुसार उस स्थान पर कई लुटेरे भी हैं | लेकिन बूढा व्यापारी कई सपने देख चूका था | उस पर दुसरे राज्य में जाकर धन कमाने की इच्छा प्रबल थी | उसने अपने कई किसान साथियों को लेकर प्रस्थान करने की ठान ली | बैलगाड़ियाँ तैयार की और उस पर अनाज लादा |इतना सारा माल था जैसे कोई राजा की शाही सवारी हो |             बू√ढ़े राम धन की टोली में कई लोग थे जिसमे जवान युवक भी थे और वृद्ध अनुभवी लोग,जो बरसो से रामधन के साथ काम कर रहे थे | जवानो के अनुसार अगर इ...

116-प्रेम के बोल

             एक गाँव में एक मजदुर रहा करता था जिसका नाम हरिराम था | उसके परिवार में कोई नहीं था | दिन भर अकेला मेहनत में लगा रहता था | दिल का बहुत ही दयालु और कर्मो का भी बहुत अच्छा था | मजदुर था इसलिए उसे उसका भोजन उसे मजदूरी के बाद ही मिलता था | आगे पीछे कोई ना था इसलिये वो इस आजीविका से संतुष्ट था |             एक बार उसे एक छोटा सा बछड़ा मिल गया | उसने ख़ुशी से उसे पाल लिया उसने सोचा आज तक वो अकेला था अब वो इस बछड़े को अपने बेटे के जैसे पालेगा | हरिराम का दिन उसके बछड़े से ही शुरू होता और उसी पर ख़त्म होता वो रात दिन उसकी सेवा करता और उसी से अपने मन की बात करता | कुछ समय बाद बछड़ा बैल बन गया | उसकी जो सेवा हरिराम ने की थी उससे वो बहुत ही सुंदर और बलशाली बन गया था |             गाँव के सभी लोग हरिराम के बैल की ही बाते किया करते थे | किसानों के गाँव में बैल की भरमार थी पर हरिराम का बैल उन सबसे अलग था | दूर-दूर से लोग उसे देखने आते थे |हर कोई हरिराम के बैल के बारे में बाते कर रहा था |    ...